मंडी, हंसराज सैनी: देश की जनता को एक बार फिर द्रंग के चट्टानी नमक (Rock Salt) का स्वाद चखने को मिलेगा। हिंदुस्तान साल्टस लिमिटेड (एचएसएल) ने करीब 25 साल बाद खाने योग्य नमक का उत्पादन शुरु कर दिया है। मैगल में सौर वाष्पीकरण विधि से नमक तैयार होगा। 1980 के बाद देश में नमक के कारोबार में कई बड़ी निजी कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट मार्केट में उतारे थे।
लोगों को पैकेट बंद आयोडीन नमक उपलब्ध होने लगा था। आधुनिक संयंत्र के अभाव में एचएसएल (HSL) का खुला क्रिस्टलयुक्त नमक मार्केट में ज्यादा देर नहीं टिक पाया था। उत्पादन लागत अधिक और आय कम होने पर मैगल में सौर वाष्पीकरण से बनने वाले नमक का उत्पादन एचएसएल ने बंद कर दिया।
एचएसएल और प्रदेश सरकार के बीच रायल्टी पर हुआ था विवाद
2011 में एचएसएल और हिमाचल सरकार के बीच रायल्टी पर विवाद हो गया था। सरकार ने एचएसएल को लीज पर दी जमीन उद्योग विभाग के नाम कर दी। उद्योग विभाग ने प्लाट बनाकर लोगों को बेचना शुरू कर दिए थे। एचएसएल हाईकोर्ट की शरण में गया। उसके बाद जमीन वापस मिली थी।
सोल्यूशन माइन संयंत्र लगाने की हुई थी घोषणा
यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले द्रंग में 300 करोड़ की लागत से सोल्यूशन माइन पर आधारित आधुनिक संयंत्र स्थापित करने की घोषणा हुई थी। एनडीए सरकार में इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ। द्रंग, गुम्मा और मैगल में तीन रिफाइनरी स्थापित करने की योजना थी।
मैग्नीशियम, कैल्शियम और पोटेशियम से भरपूर
द्रंग के चट्टानी नमक में प्रचुर मात्रा में मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम पाया जाता है। सूर्य की रोशनी से तैयार होने वाला नमक विटामिन डी का भरपूर स्त्रोत है। एचएसएल के सीएमडी कोमोडोर (सेवानिवृत्त) कमलेश कुमार इसी सप्ताह नमक उत्पादन की तैयारियों का जायजा लेंगे।
116 मिलियन मीट्रिक टन नमक का भंडार
एचएसएल द्रंग यूनिट प्रभारी अभिमन्यु ने बताया कि द्रंग और गुम्मा के पहाड़ में नमक का 116 मिलियन मीट्रिक टन भंडार मौजूद है। इसके दोहन के लिए सरकार ने एचएसएल को 133 एकड़ भूमि लीज पर दे रखी है। सौर वाष्पीकरण विधि से खाने योग्य नमक का उत्पादन शुरु कर दिया है। मैगल में नमक तैयार किया जा रहा है।
+91 120 4319808|9470846577
स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.